शनिवार, 25 नवंबर 2023

 सूर्य मंदिर मोढेरा। गुजरात का ऐतिहासीक स्थल। Sun Tample Modhera - A historical place of Gujarat
Sun Tample Modhera

नमस्कार दोस्तो,गुजरात के महेसाणा जिले मे पुष्पावती नदी के तट पर बना मोढ़ेरा सूर्य मंदिर आज एक अप्रचलित मंदिर के रूप में खड़ा है जहाँ अब कोई पूजा नहीं की जाती है। और आपको जानकर हैरानी होगी कि उड़ीसा के कोणार्क मंदिर से पहले भी इस असाधारण कला को तैयार किया गया था। मोढ़ेरा की आश्चर्यचकित कर देने वाली संरचना की सटीकता और इसके पीछे हजारों की मेहनत आपके दिमाग को हैरान कर देने वाली है। और जब आप महसूस करेंगे कि यह सभी महाशक्तियों को मुघल लुटेरें और बालात्कारी मोहम्मद गजनवी द्वारा एक झटके के साथ लूट लिया गया था तो यह आपको पीड़ा देगी। इस समय मोढ़ेरा का मंदिर एक शानदार खंडहर है। मोढ़ेरा मंदिर और सूर्य देव के प्रति इसका समर्पण आपको चौंका देगा। - मंदिर का निर्माण इस प्रकार किया गया था की, सूर्योदय की पहली किरण सूर्य देव के सिर पर रखे हीरे पर ही पडे।

मोढेरा मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्दी की शुरुआत में चालुक्य-सोलंकी वंश के राजा भीमदेव के शासनकाल में हुआ था। मोढेरा का शाब्दिक रूप से स्कंद और ब्रह्म पुराण के इतिहास के पन्नों पर उल्लेख किया गया है। पौराणिक रूप से भी मोढेरा और इसके आसपास के क्षेत्रों को धर्मारण्य या धार्मिकता के जंगल के रूप में दर्शाया गया है।वर्तमान में मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा जीर्णोद्धार कर के संभाला गया है। 2014 में इस मोढ़ेरा सूर्य मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में जोड़ा गया था। पूरे मंदिर को कमल के आकार की संरचना पर स्तंभित किया गया है और इसकी दीवारों पे हर इंच नुकीली  नक्काशी है जो हमारी संस्कृति के हर हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।रामायण से महाभारत तक, मानव जीवन चक्र से लेकर कामशास्त्र तक, और पूरे मंदिर को तीन खंडों में विभाजित किया गया है।

खंड 1,सूर्य कुंड:
सूर्य कुंड, जो मंदिर के ठीक सामने एक गहरी, सीढ़ीनुमा तालाब है, पहले शुद्ध पानी का भंडारण किया जाता था। हालाँकि वर्तमान में संचित वर्षा जल से अधिक कुछ नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि पहले यहाँ एक भूमिगत झरना हुआ करता था।सूर्य कुंड, मंदिर के सामने एक गहरा कदम है। टैंक का नाम भगवान सूर्य के नाम पर रखा गया था। पहले के समय में, इस टैंक का इस्तेमाल शुद्ध पानी को स्टोर करने के लिए किया जाता था। मंदिर की ओर जाने से पहले श्रद्धालु यहां औपचारिक पूजा के लिए रुकते थे। इस मंदिर के चरणों में 108 से कम मंदिर नहीं हैं, जिसमें भगवान गणेश, भगवान शिव, शीतला माता और कई अन्य देवी-देवो को समर्पित हैं। इस टैंक के सामने, एक विशाल 'तोरण' (तोरणद्वार) सभा मंडप की ओर जाता है।

खंड 2,सभा मंडप:
सभा हॉल या सभा मंडप धार्मिक सभाओं और सम्मेलनों के लिए जगह हुआ करते थे। तीर्थ यात्रियों के लिए आवश्यक रूप से निर्मित, इस स्थान पर उनके लिए बैठने और आराम करने के लिए दीवारों के साथ स्लैब भी बनाए गए थे। अंत में, आप खंभे और मेहराब के साथ मार्ग को पार करके मंडप या गर्भगृह तक पहुँच सकते हैं। यह हॉल मे मोहम्मद गजनवी द्वारा लूटे जाने से पहले यहा सूर्य देव की मूर्ति स्थापीत थी। फिर भी कोई दीवारों पर सूर्य देव के बारह अलग-अलग पहलुओं (हर महीने के लिए) को देख सकता है।शाब्दिक रूप से, सभा मंडप यानी मिटींग हॉल को संदर्भित करता है जहाँ धार्मिक सभाएँ और सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। यह हॉल चारों तरफ से खुला है और इसमें 52 नाजुक नक्काशीदार खंभे हैं। जटिल नक्काशियों में रामायण, महाभारत और भगवान कृष्ण के जीवन के दृश्यों को दर्शाया गया है। गर्भगृह में जाने के लिए, खंभे और मेहराब के साथ मार्ग को पार करना पड़ता हैं।

खंड 3,गुडा मंडप:
गुडा मंडप अभयारण्य है जो कमल-बेस प्लिंथ द्वारा समर्थित है। एक बार, यह हॉल सूर्य देवता की मूर्ति को घर देता था। हॉल की डिजाइनिंग एक तरह से की गई थी, ताकि मूर्ति को विषुव पर सूर्य की पहली झलक मिले। हालाँकि, मूर्ति को महमूद गजनवी ने लूट लिया था, लेकिन दीवारें हर महीने के 12 अलग-अलग पहलुओं में सूर्य देव का प्रतिनिधित्व करती हैं। नक्काशीदार दीवारें मानव जीवन के पहलुओं को भी दर्शाती हैं जैसे जन्म और मृत्यु के दुष्चक्र। हाल के वर्षों में इस हॉल के अग्रभाग को पुनर्निर्मित किया गया हे, इस तथ्य के बावजूद कि गुडा मंडप पर छत पहले ही बिखर गई थी।

त्यौहार:
गुजरात पर्यटन इस स्थान पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए  नृत्य महोत्सव का आयोजन करता है।मोढेरा नृत्य उत्सव एक प्रमुख त्योहार है जो सूर्य मंदिर द्वारा मनाया जाता है। यह नृत्य महोत्सव भारतीय परंपराओं और संस्कृति को जन मानस मे जीवित रखने के लिए आयोजित किया जाता है। यह हर साल जनवरी महीने में आयोजित किया जाता है। इस मंदिर के परिसर में शास्त्रीय नृत्य के साथ शाही माहौल बना रहता हैं।

कोणार्क मंदिर के अनुसार, इस मंदिर को एक तरीके से बनाया गया है, ताकि सूर्य की पहली किरणें भगवान सूर्य की छवि पर पड़ें। मंदिर को लुटेरें और बालात्कारी महमूद गजनवी द्वारा लूटा गया था, फिर भी वास्तुशिल्प कली की भव्यता गायब नहीं हुइ हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या बचा है, फिर भी अवशेषों को निहारने के लिए एक गजब का आकर्षण पैदा करता हैं। एक ऊंचे मंच पर बना मंदिर अपनी भव्य संरचना के साथ राजसी प्रतीत होता हैं। बाहरी दीवारों को जटिल नक्काशी के साथ सजाया गया है, जो उस समय में कला की महारत के बारे में दावा करती हैं। संरचना का हर एक इंच देवताओं, देवी, पक्षियों, जानवरों और फूलों के मूर्तिकला पैटर्न से ढका हुआ हैं। मोढ़ेरा सूर्य मंदिर वास्तव में आपको अजीब लगता है। सभी खंडहरों के बीच, यह एक जगह है, जहाँ आपको घोर रचनात्मकता और जबरदस्त मेहनत का सही मिश्रण मिलेगा। ऐसे में अगर आप पूरे गुजरात की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं,तो इसे अपने यात्रा कार्यक्रम में शामिल करना न भूलें।

कैसे पहुंचें मोढेरा। How to reach Modhera

हवाई मार्ग से:
आप निकटतम शहर से मोढेरा-अहमदाबाद तक जा सकते हैं-जहाँ से नियमित सरकारी बस सेवा उपलब्ध हैं।

रेल मार्ग से:
इसके बजाय एक ट्रेन में सवार होने के लिए, नजदीकी रेलवे स्टेशन मोढ़ेरा से मेहसाणा -25 किमी पर हैं।

सड़क मार्ग से:
मोढेरा सूर्य मंदिर तक बस में सवार होकर या गुजरात में कहीं से भी टैक्सी किराए पर लेकर आसानी से पहुंचा जा सकता हैं।

सुबह के 6:00 am से शाम के 6:00 pm तक खुला रहता हैं।

दोस्तो, कामना करता हुँ, हमारी संस्कृति से जुडी यह जानकारी आपको पसंद आये, प्रकृति से आपका जुडाव और भी गहरा हो। आप जहा भी यात्रा करें पर्यावरण और स्वच्छता का खयाल जरुर रखें।

सोमवार, 9 अक्तूबर 2023

 दामोदर कुंड गिरनार महत्व। दामोदर कुंड गिरनार कथा।
नमस्कार दोस्तो,पवित्र गिरनार क्षेत्र मे कई देवी-देवता,रुषी-मुनीओ,सिद्ध-महात्माओ के कई मंदिर और जगहें हैं। इन सभी पावनकारी और मंगलकारी जगह मे एक जगह हैं "दामोदर कुंड"। जुनागढ शहर से गिरनार तलहटी की और आते हुए मुख्य मार्ग पर प्रसिद्ध और पवित्र दामोदर कुंड हैं,जो सोनरख नामक नदी के बिच मे स्थित हैं। भगवान श्री क्रिष्णा के अनन्य भक्त कवि श्री नरसिंह महेता ने कई बार भक्ति प्रेम से बारंबार भगवान श्री क्रिष्णा को आशिर्वाद देने के लिए विवश कीया था। जब भी भगवान श्री क्रिष्णा का सामीप्य चाहते तब श्री नरसिंह महेता दामोदर कुंड मे पहले स्नान करते और भगवान श्री क्रिष्णा को पुकारते थे। गिरनार जाने वाले सभी यात्रालु,श्रद्धालु,दर्शनार्थी,पर्यटक दामोदर कुंड मे स्नान अवश्य करते हैं। माना जाता हैं की जब तक आप दामोदर कुंड मे स्नान नहि करते तब तक आपकी गिरनार की यात्रा चाहे किसी भी वजह से हो वो अधुरी रहती हैं। बिना दामोदर कुंड मे स्नान कीये बगैर आपकी यात्रा अधुरी मानी जाती हैं। दामोदर कुंड पवित्र गिरनार की एक मुख्य जगह हैं,जो एक पौराणिक स्थल हैं। किनारे पर 'राधा दामोदर मंदिर' और 'रेवती-बलदेव मंदिर' मुख्य मंदिर हैं। दामोदर कुंड मे अस्थी विसर्जन और तर्पण जैसी क्रियाओ का विशेष महत्व हैं। दामोदर कुंड मे गिरायी गई अस्थीयां बिलकुल गल जाती हैं,एसी एक मान्यता भी प्रचलित हैं। दोस्तो,क्या हैं दामोदर कुंड का महत्व?,क्या हैं दामोदर कुंड की कहानी?क्यों हैं दामोदर कुंड मे स्नान करना जरुरी? यह सब जानते हैं एक संक्षिप्त कथा से!

दामोदर कुंड का महत्व। दामोदर कुंड की कथा। दामोदर कुंड जानकारी।Damodar Kund ka Mahatva।Damodar Kund ki Katha। Damodar Kund jankari
पौराणिक कथाओ के अनुसार एक बार ब्रह्माजी ने यग्य करने के लिए सभी मुनी,तपस्वी और देवो को आमंत्रित कीया।सभी ने स्नान के लिए अपने अपने तीर्थजल की ईच्छा जताई,तब प्रजापति ब्रह्माजी ने समस्त संसार के सभी तीर्थजल को एक ही जगह आमंत्रित कर,एक ही जगह ईकठ्ठा कीया और अपने कंमडल मै से गंगाजी को भी उन सभी तीर्थजल मे मीलाया। उस दिन से वह जगह पर गंगा,यमुना,सरस्वती,कावेरी,नर्मदा,क्षिप्रा,चर्मणवती,वेदीका,गंडकी,सरयु,गोदावरी,तापी सहित सभी नदीयां एवं समस्त तीर्थजल और ब्रह्माजी,विष्णुजी,शिवजी,ईन्द्र जैसे देवताओ सदा के लिए निवास हो गया। प्रजापति ब्रह्माजी के कारण यह सभी संभव हुआ इसलिए यह स्थल 'ब्रम्हकुंड' कहलाया। यग्य समाप्ती के बाद जब सभी देवता जा रहे थे तब ब्रह्माजी ने भगवान श्री हरी विष्णु को उस तीर्थ स्थल पर लक्ष्मिजी सहित निवास करने का वचन मांगा,जीस वजह से भगवान श्री हरी विष्णु और मां लक्ष्मिजी 'राधा-दामोदर' स्वरुप मे बिराजमान हो गयें और दामोदर भगवान के कारण यह कुंड दामोदर कुंड कहलाया। जो भी मनुष्य पवित्र भाव से,शुद्ध मन से एक घडी के लिए भी यह तीर्थ मे निवास करता हैं,वो देवपद प्राप्त करता हैं। महात्माओ का कहना है की,गोमती द्वारका मे विसर्जित अस्थी चक्ररुप हो जाती हैं,गंगाजी मे विसर्जित अस्थी शेवाळ रुप हो जाती हैं,पर दामोदर कुंड मे गीरी अस्थी बिलकुल गल जाती हैं। शास्त्रो मे कहा गया हैं की, दामोदर कुंड समान कोई तीर्थ नहि हैं और होगा भी नहि। जब कार्तिक सुद पुर्णिमा को दोपहर जब भगवान श्री हरी विष्णु का संयोग होता हैं तब यहा स्नान करने से हर कदम पर अश्वमेघ यग्य का फल मीलता हैं।

दामोदर कुंड पर क्या कर सकते हैं।What to do at Damodar Kund
दामोदर कुंड गिरनार की खास और पवित्र जगहो मे मुख्य जगह हैं,जब भी आप गिरनार की यात्रा करे,चाहे यात्रा का कारण मेला या खास पूजा,विधि-विधान हो या फिर कोई अन्य कारण से दामोदर कुंड मे स्नान जरुर करें। हिंदु सनातन धर्म के गिरनार क्षेत्र मे आने वाले सभी श्रद्धालु भक्त दामोदर कुंड मे समस्त संसार के सभी तीर्थजल और पवित्र नदीयां का स्मरण-आहवान कर प्रेम पुर्वक स्नान करते हैं और भगवान श्री हरी विष्णु पापो का नाश करने हेतु प्रार्थना करते हैं। स्नान करने के बाद श्रद्धालु, दर्शनार्थी, भक्त 'राधा-दामोदर' मंदिर मे शुद्ध जल,तुलसीदल,और अन्य पूजा सामग्री से भगवान दामोदरजी का दर्शन और पुजन करते हैं। साथ ही अपनी ईच्छा अनुसार ब्राह्मण,पंडित या जरुरीयातमंद को दान-दक्षिणा देते हैं।

नम्र निवेदन।humble request:
सभी श्रद्धालु,पर्यटक और यात्रीओ ध्यान रखे की भवनाथ तलहटी-गिरनार तलहटी मे आपको रुकने,रहने,खाने के लिए कई धार्मिक संस्थाओ और सेवाभावी व्यक्ति,परिवारो,समाजो द्वारा आश्रम चलाये जाते हैं। जहा रुकने की बेहतरीन व्यवस्था और खाने की उत्तम व्यवस्था होती हैं,तो आप वहा ही रुकने,खाने को प्राथमिकता दैं। यह सभी व्यवस्था निशुल्क होती हैं। आप जब भी ऐसे आश्रम या पंडाल मे रुके या खाये तब वहा की सभ्यता-संस्कृति का आदर सम्मान जरुर करे,ऐसी सेवा मे उनका सिर्फ एक ही मतलब होता हैं "महेमान भगवान होता हैं,भुखे को अन्न,प्यासे को पानी,जन सेवा वही प्रभु सेवा। अच्छे बर्ताव से कृपया उनका सहयोग करे,होसला बढाये।

गिरनार कैसें पहुचे।Girnar kaise pahuche।How to reach Girnar
गिरनार पहुचने के लिए आपको जुनागढ शहर को ध्यान मे रखना पडेगा क्योकी गिरनार पर्वत जुनागढ शहर से 4km दुरी पर स्थित हैं।
हवाई मार्ग से कैसे पहुचे।How to reach by air
जूनागढ़ का अपना हवाई अड्डा नहीं है और निकटतम हवाई अड्डा राजकोट,पोरबंदर और केशोद हवाई अड्डे हैं। राजकोट और पोरबंदर हवाई अड्डों पर मुंबई से सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं। जूनागढ़ पहुंचने के लिए हवाई अड्डों के बाहर से टैक्सिया या बसों द्वारा आप जुनागढ पहुच सकते हैं।
राजकोट हवाई अड्डा 103km,पोरबंदर हवाई अड्डा 113km,केशोद हवाई अड्डा 40km
सड़क मार्ग से कैसे पहुँचे।How to reach by road
नियमित बस सेवा से जूनागढ़ गुजरात के अन्य स्थानों से जुड़ा हुआ है जैसे अहमदाबाद, भुज, भावनगर, द्वारका, सोमनाथ,पोरबंदर और राजकोट,वडोदरा,सुरत,मुंबई इन शहरों से जूनागढ़ पहुचने के लिए निजी और GSRTC वाली दोनों तरह की बसें कार्यरत हैं।
रेल मार्ग से कैसे पहुँचे।How to reach by rail
जूनागढ़ जंक्शन स्टेशन, जो शहर के केंद्र से लगभग 1 किमी दूर स्थित है,मुंबई,राजकोट,अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम,पुणे और जबलपुर जैसे स्थानों से ट्रेन सेवा उपलब्ध है।

दोस्तो,अगर आप पर्यटन के शौखीन है,शिवभक्त हैं,जैनधर्मी है,हिंदु संस्कृति के चाहने वाले हैं या सौराष्ट्र के लोगो के बारे मे जानना चाहते हैं तो,साहब एक बार आप गिरनार जरुर जाये। दोस्तो,आशा रखता हु यह कुछ जानकारी आपको पसंद आयी होगी,साथ ही कामना करता हु आपकी यात्रा आनंदमय,मंगलमय हो।आप जहा भी यात्रा करे पर्यावरण का,स्वच्छता का ध्यान रखे और वहा की सभ्यता-संस्कृति का आदर सन्मान जरुर करें।
(वास्तविक यात्रा और स्थानिक लोगो जैसे,स्थानिक दुकानदार,स्थानिक गाईड,स्थानिक पर्यटक से मीली जानकारी के आधार पर।अगर इस आर्टिकल मे कही कोई भुल,क्षति,गलती हो तो कोमेंट के जरीए जरुर मेरा मार्गदर्शन कर सकते हैं।धन्यवाद।)

मंगलवार, 19 सितंबर 2023

Jambavan Caves Porbandar In Hindi

जामुवंत की गुफा को Jambuvanti caves के नाम से भी जाना जाता है। जामवंत की गुफाओं सौराष्ट्र के प्रख्यात बरडा डूंगर की तलहटी में पोरबंदर से तक़रीबन 17 किलोमीटर की दूरी पर राणावाव गांव से 3 किलोमीटर की दूरी पर पोरबंदर राजकोट हाईवे पर स्थित है।

यह रहस्यमई पर्यटन स्थल पौराणिक, धार्मिक, और पुरातात्वीक के लिए महत्व का स्थान है। यह स्थान सौराष्ट्र पुरातत्व विभाग के देखरेख में है। यहां पर गुफा की छत से पानी टपकने से मिट्टी (पत्थर) की बहुत सारे स्वयंभू शिवलिंग बनती हैं। और हमेशा शिवलिंग पर अपने आप कुदरती तरीके से जल अभिषेक होता रहता है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर जामुवंत गुफा के बारे में ज्यादातर लोगों को मालूम नहीं है।

Jambavan caves in Porbandar

रविवार, 13 अगस्त 2023

Nubra Valley Ladakh In Hindi | नुब्रा घाटी जम्मू कश्मीर घूमने की जानकारी

Nubra Valley In Hindi: लद्दाख के खूबसूरत पहाड़ों में बसी नुब्रा वैली एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। नुब्रा घाटी लद्दाख के लेह डिस्ट्रिक मैं स्थित है। नुब्रा वैली समुद्र तल से 10000 फीट की ऊंचाई पर लद्दाख की कैपिटल लेह सिटी से लगभग 150 किलोमीटर नार्थ की तरफ स्थित है। नुब्रा वैली नुब्रा का मतलब “फूलों की घाटी” इससे लद्दाख के बाग से भी जाना जाता है। नुब्रा घाटी जम्मू और कश्मीर के पारादीसकाल में रेशम मार्ग पर स्थित एक आकर्षक स्थल है। जो पहले कभी सिल्करोड का हिस्सा हुआ करती थी। नुब्रा घाटी प्राकृतिक सुंदरता के साथ चारों ओर रंग-बिरंगी खूबसूरत पहाड़ो, ग्लेशियर, नदिया, झरने, झीले और स्वर्ण, लाल, नीले हरे और अन्य समृद्ध रंगों के साथ कुछ सुंदर मठ स्थापित हैं। नुब्रा घाटी में लहराते रंगबे रंगीन पताके घाटी को चार चांद लगाते हैं।

Nubra Valley Ladakh

इसके अलावा नुब्रा घाटी अपने बैनटेरियन ऊंट की सवारी के लिए फेमस है। हुंदर गांव मेंं मौजूद रेगिस्तान विश्व का सबसे ऊंचा रेगिस्तान है जो नुब्रा घाटी के आकर्षण के केंद्र बने हुए है और बड़ी मात्रा में पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते है। खूबसूरत नुब्रा घाटी में घूमने के साथ-साथ सैलानी यहां पर कुछ सुंदर कश्मीरी या तिब्बती कलाकृतियों, पश्मीना शॉल, ऊनी मोजे, बादाम, खुबानी, सेब और अन्य चीजें खरीद सकते हैं।

अगर आप नुब्रा वैली में घूमने के लिए प्लान बना रहे हैं। या फिर घूमने के लिए आने वाले हैं तो विशेष ध्यान दें कि इस घाटी में प्रवेश करने के लिए आपको खारदुंग ला पास में सैनिकों को अपनी यात्रा परमिट की फोटोकॉपी सोचने की जरूरत होती है। क्योंकि वर्तमान में यह क्षेत्र भारतीय सैन्य की निगरानी में है।

नुब्रा घाटी में घूमने की परमिट (परमिशन)

नुब्रा घाटी में घूमने के लिए भारतीय या फिर विदेशी नागरिकों पर्यटनो को सफर करने के लिए प्रोटेक्टेड एरिया परमिट लेना पड़ता है। इस परमिट के लिए आप लेह के जिल्ला आयुक्त ऑफिस (मजिस्टर ऑफिस) या फिर अधिकृत ट्रैवल एजेंट के पास आवेदन कर सकते हैं। इस परमिट को आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कर सकते हैं। खारदुंग ला पास क्रॉसिंग करने से पहले चेक पोस्ट पर यह परमिट की जांच करते हैं। इसीलिए 2-3 कॉपी साथ में रखे। क्योंकि नुब्रा में अलग-अलग चौकियों के लिए प्रोटेक्टेड एरिया परमिट की बहुत सारे प्रतिया रखनी पड़ती है।

आप नुब्रा घाटी घूमने जा रहे हैं तो लेह पहुंचने के बाद आपको कम से कम 2 दिन वहां पर आराम करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि एक बार जब आप वहां की परिवेश से अनुकूल हो जाओगे, तो आप नुब्रा घाटी के लिए आगे की यात्रा शुरू कर सकते हैं।

नुब्रा वैली के खूबसूरत अट्रैक्शन – Tourist Places In Nubra Valley

प्राकृतिक दृश्यों से सजी नुब्रा वैली में देखने और घूमने के लिए कई सारी खूबसूरत जगाह है। यहां के खूबसूरत पहाड़ राजस्थान जमा देने वाली ठंड इससे अनोखा और अद्भुत बनाती है जो नुब्रा वैली को मोस्ट विजिट पैलेस बनाता है। नुब्रा वैली जम्मू कश्मीर और लद्दाख के बीच लेह में स्थित समुद्र तल से 10000 फीट की ऊंचाई पर हिमालय की गोद में बसा एक खूबसूरत पठार है। यह घाटी नुब्रा और श्योक नामक दो नदियों के बीच बसी है। आप यहां एक पर्यटक के तौर पर एक अलग संस्कृति का अनुभव करेंगे। अगर आप ऐसे किसी ऑथेंटिक और ऑफ बीट अनुभव के लिए उत्सुक हैं तो नुब्रा आपके लिए सबसे सही जगह है। नुब्रा वैली में घूमने लायक टूरिस्ट पैलेस प्राकृतिक अत्यंत खूबसूरत संस्कृति और मानव निर्मित उत्कृष्ट बेजोड़ है।

1. khardug La Top – खारदुंग ला पास

खारदुंग ला पास की ऊंचाई समुद्र तल से तकरीबन (18380 ft) है। खारदुंग ला पास विश्व का सबसे ऊंचा मोटरेबल पास है। खारदुंग ला की ड्राइवस दुनिया की सबसे बेहतरीन ड्राइवस मैं से एक है। इस घाटी में प्रवेश करने के लिए आपको खारदुंग ला पास में सैनिकों को अपनी यात्रा परमिट की फोटोकॉपी सोचने की जरूरत होती है। क्योंकि वर्तमान में यह क्षेत्र भारतीय सैन्य की निगरानी में है।

2. खतच्चर

खारदुंग ला पास से थोड़ी दूर और नुब्रा वैली का दूसरा अट्रैक्शन खातच्चर है। जो नुब्रा वैली से 10 किलोमीटर आगे की ओर है। यह स्थान प्रख्यात है अपनी खूबसूरत सफेद जो जमीन की वजह से जो सफेद रेत की ऊपर ढकी हुई है। यहां पर सैलानी के लिए ATV ई टीवी राइट्स की भी सुविधा है। जिस की फीस है। तकरीबन ₹1200 प्रति व्यक्ति

3 डिस्किट मॉनेस्ट्री

डिस्किट नुब्रा का व्यापारिक केंद्र है जो सामान्य लेकिन बहुत ही खूबसूरत गांव है। डिस्किट मॉनेस्ट्री फेमस है अपने मैत्री बुद्धा स्टेचू के लिए यह मूर्ति तकरीबन 108 फिट ऊंची प्रतिमा है। यह मॉनेस्ट्री लगभग 350 साल से अधिक पुरानी है और यह नुब्रा वैली की सबसे पुरानी मॉनेस्ट्री है।

डिस्किट मोनेस्ट्री के प्रांगण से बहुत ही अमेजिंग व्यूज देखने को मिलते हैं। इसमें के अलग अलग वैरायटी होती है जैसे कि बड़े-बड़े माउंटेन पीकस, डेजर्ट सेंडयूज़, खूबसूरत बहती नदी और छोटे-छोटे फॉरेस्ट की पेचिश, रंग बिरंगी पहाड़ों और नीला आकाश इस जगह को अत्यंत खूबसूरती प्रदान करता है।

डिस्किट मॉनेस्ट्री के एकदम नजदीक में स्थित है लहसुंग टेंपल जो एक पहाड़ी पर धार्मिक खूबसूरत अट्रैक्शन है। आप वहां पर भी विजिट कर सकते हैं।

4. हुंदर (विलेज) गांव

डिस्किट से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पश्चिम में हुंदर का रेगिस्तानी इलाका है। यह रेगिस्तान विश्व का सबसे ऊंचा रेगिस्तान है। हुंदर को लद्दाख का राजस्थान भी कहा जाता है। हुंदर विलेज प्रख्यात है अपने बैनटेरियन ऊंट की सवारी के लिए और खूबसूरत वाइट सेंडयूज की वजह से। इस सफेद रेगिस्तान में सैलानी कैमल राइड भी कर सकते हैं। राइट्स की खासियत है कि यहां पर बैटरीअन कैमल्स जो डबलहमप (दो कूबड़) के होते हैं जिस पर सवारी का अलग एहसास हैं। जो देश-विदेश के सैलानियोंं को अपनी और आकर्षित करता है।

नुब्रा घाटी घूमने का बेस्ट समय

नुब्रा घाटी में घूमने और यात्रा के लिए सही मौसम गर्मियों का होता है। इस दौरान आप यहां चिलचिलाती गर्मी से राहत पा सकते हैं और यहां बर्फ के बीच अन्य मनोरंजन गतिविधियों का आनंद उठा सकते हैं।

खारदुंग ला दुर्गम होने की वजह से ठंड के मौसम में नुब्रा पहले घूमने जाना थोड़ा मुश्किल साबित हो सकता है। क्योंकि इसके सिवाय नुब्रा जाने का दूसरा और कोई रास्ता नहीं है। यह मार्ग मई महीने में खोला जाता है। नुब्रा के लिए मई से सितंबर तक का समय सबसे बढ़िया होता है।

मॉनसून के दौरान नुब्रा घाटी की यात्रा से बच्चे क्योंकि उस समय दौरान मूसलधार बारिश की वजह से रोड स्लिपी हो जाते हैं। और लगातार भूस्खलन के कारण आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

नुब्रा वैली कैसे पहुंचे – How To Reach In Nubra Valley

अगर आप अपने परिवार या फिर दोस्तों के साथ जम्मू कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल नुब्रा घाटी घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तो नुब्रा घाटी कैसे पहुंचे?

नुब्रा घाटी पहुंचने के लिए हवाई मार्ग और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग द्वारा पहुंचना थोड़ा बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि नुब्रा वैली का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जम्मू तवी है जो नुब्रा वैली से तकरीबन 750 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

फ्लाइट से नुब्रा वैली कैसे पहुंचे

अगर आप फ्लाइट से नुब्रा घाटी घूमने का प्लान बना रहे हैं तो यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा कुशोक बकुला रिंपोचे हवाई अड्डा लेह में स्थित है। यह हवाई अड्डा हवाई मार्ग द्वारा लगभग भारत के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां से नुब्रा घाटी तकरीबन 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप दिल्ली से लेह के लिए फ्लाइट ले सकती हैं, फिर मनाली और स्पीती के रास्ते निजी वाहन या बस से यहां जा सकती हैं। हवाई अड्डे से नुब्रा वैली तक पहुंचने के लिए बस, ऑटो, टैक्सी या फिर कैब बुक करके नुब्रा घाटी तक पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग से नुब्रा घाटी कैसे पहुंचे- How To Reach Nubra Valley By Road In Hindi

अगर आप सड़क मार्ग द्वारा नुब्रा घाटी पहुंचने का प्लान बना रहा है तो यहां की खूबसूरत सड़के आपका दिल जीत लेंगी। घाटी के करीब पहुंचने पर रेत के टीलों के साथ सुनसान सड़क आपका स्वागत करती है। नुब्रा घाटी जम्मू कश्मीर के सभी बड़े शहरों के साथ सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जम्मू कश्मीर के सभी इससे से नुब्रा घाटी लेहन के लिए नियमित रूप से बस की सुविधाएं उपलब्ध है। अन्यथा आप टैक्सी कार कैब या अपने निजी कार से नुब्रा घाटी पहुंच सकते हैं।

नुब्रा वैली में रुकने की व्यवस्था

डिस्किट और हंटर में रुकने के लिए बहुत सारे होटल्स होमस्टे रिसोरऔर टेंट की भी सुविधाएं उपलब्ध है। इसीलिए रात को आपको डिस्किट गांव में जाना होगा क्योंकि रात के वक्त यहां ठहरने की व्यवस्था रहती है।

नुब्रा वैली का नक्शा – Nubra Valley Jammu And Kashmir Map

सोमवार, 17 अप्रैल 2023

गुजरात राज्य और उसके पर्यटक स्थल की जानकारी
गुजरात राज्य की पूरी जानकारी और घूमने की जगहे

गुजरात को भारत के राष्ट्र पिता महात्मा गांधी की जन्म भूमि कहा जाता है।

Mahatma Gandhi

गुजरात की राजधानी गांधीनगर है। ये पूरे एसिया का सबसे हरभरा शहर है। यहाँ पर आपको हर जगह हरियाली देखने को मिलेगी।

गुजरात सिंधु सभ्यता से जुड़े पूरा तात्विक जगहों से भरा है। गुजरात धोलावीरा, गोलाथारा, लोथल जैसे शहेरो का केंद्र है।

गुजरात भारत के पश्चिम किनारे पर बसा हुआ एक समृद्ध राज्य है, जिसका समुंदर किनारा लगभग 1600 किलोमीटर लंबा है।

Gujarat Ocean

इस राज्य का ज़्यादातर हिस्सा भारत के पश्चिम मे काठियावाड इलाके मे है, इस राज्य की सीमाएं राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से जुड़ी हुई है। और इसके पास ही केंद्र शशित प्रदेश दादरा नगर हवेली और दीव-दमन मौजूद है। ये राज्य पाकिस्तान से भी सीमाएं शेर करता है।

गुजरात 196000 वर्ग किलोमीटर मे फैला हुआ है, जो इसे क्षेत्रफल के मामले मे देश का 5 वां सबसे बड़ा राज्य बनाता है।

1 May 1960 को गुजरात को महाराष्ट्र से अलग करके गुजरात राज्य बना दीया गया।

जनसख्या के मामले मे गुजरात इंडिया का 9 वां सबसे बड़ा राज्य है। यहाँ की जनसख्या लगभग 6,48,00,000 है।

यहाँ की भासा गुजराती है और इस राज्य को भासा के नाम पर ही बनाया गया था।

गुजरात का सूरत शहर प्राचीन समय से ही एक बड़ा बंदगाह है, जहां से विदेशी लोग भारत आया करते थे।

बिज़नस के मामलेमे गुजरात भारत का सबसे बड़ा आर्थिक आज़ादी वाला राज्य है, इसीलिए यहाँ से व्यापार करना काफी आसान होता है।

गुजरात का सूरत बन्दरगाह हजारों सालों से सामान लाने और लेजाने के लिए इस्तेमाल होताहे।

गुजरात का सूरत शहर हीरा (Diamond) के व्यापार में दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र है।

Surat Diamonds

गुजरात के मुख्य कृषि उत्पाद (Agriculture products) की बात करें तो यहाँ पर गेहूं, बाजरा, मकाई, चावल, मूँगफली, कपास, जुआर और दूध है। गुजरात पूरे भारत का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है।

Grains of Gujarat

भारत के अंदर फ़ार्मा इंडस्ट्री (Pharma Industry) मे गुजरात पहले नंबर पर आता है। भारत का 33% ड्रग मैनुफेक्चुरिंग (Drug manufacturing) अकेले गुजरात मे होता है।

Pharma in Gujarat

ये राज्य अंबानी, अदानी, नरेंद्र मोदी जैसे लोगों की वजह से भी जाना जाता है। अदानी का मुद्रा बन्दरगाह (पोर्ट) भारत का सबसे बड़ा कार्गो पोर्ट माना जाता है।

गुजरात इस देश का पहला एसा राज्य है जहां शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। यहाँ शराब या कोई भी नशीली चीज़ का सेवन करना मना है। इसीलिए इसे ड्राइ स्टेट (Dry State) के नाम से भी जाना जाता है।

Alcohol ban

गुजरात के उंधियु, थेपला, और ढोकला पूरे भारत में फ़ेमस है।

गुजरात में गरबा और डांडिया रास प्रमुख फोल्क डांस (traditional folk dance) है। यहाँ के मुख्य त्योहार है जन्माष्टमी, मकर संक्रांति, और नवरात्रि है।

गुजरात में घूमने लायक जगह

स्टेच्यु ऑफ यूनिटी (Statue of Unity)

रन ऑफ कच्छ (Rann of Kutch)

अक्षरधाम मंदिर (Akshardham Mandir – Gandhinagar)

लक्ष्मी विलास महल (Laxmivilas Mahal – Vadaodra)

द्वारका (Dwarka)

गिर नेशनल पार्क (Gir National Park)

सापुतारा (Saputara)

सोमनाथ (Somnath)

अहमदाबाद (Ahmedabad)

पोरबंदर (Porbandar)

जूनागढ़ (Junagadh)

गुजरात घूमने का सबसे अच्छा समय ओक्टोबर October से मार्च March तक का होता है, ईस समय यहाँ का वातावरण ठंडा रेहता है।

गुजरात कैसे पहुंचे?

गुजरात राज्य सड़क मार्ग, रेल मार्ग, और हवाई मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप भारत के किसि भी राज्य से गुजरात आसानी से पहुँच सकते है।

शनिवार, 1 अप्रैल 2023

चोखी ढाणी जयपुर घूमने की जानकारी - Chokhi Dhani, Jaipur

चोखी ढाणी राजस्थान के जयपुर शहर से कुछ दूरी पर एक खूबसूरत लग्जरीअस रिसोर्ट के रूप में गांव है।

चोखी ढाणी यानी के “अच्छा गांव” इस गांव में राजस्थान की संस्कृति की झलक देखने को मिल जाएगी इसके अलावा यहां पर प्राचीन कलाकृतियां, हस्तशिल्प, चित्रकारी, लोककथाओ, मूर्तियों के साथ पारंपरिक राजस्थान का वास्तविक चित्रण दिखता है।

इस गांव को जयपुर शहर के बाहरी इलाके में 1989 में बनवाया गया था। जो तकरीबन 10 एकड़ में फैला हुआ है।

चोखी ढाणी गांव में राजस्थान के अलग-अलग लोक नृत्य, कठपुतली का खेल, कंचे का खेल, भविष्यवाणी करने वाला तोता, जादू के शो, घुड़सवारी, नौका विहार, और इत्यादि खेलों के अलावा इस गांव में राजस्थान का फेमस कालबेलिया नाच सबसे अधिक प्रसिद्ध है।

चोखी ढाणी गांव कुछ इस तरह बसाया गया है कि यहां पर पर्यटक एक अच्छे और आदर्श गांव की फीलिंग ले सकते हैं। पूरे गांव को राजस्थानी रहन सहन एवं सांस्कृतिक से सजाया गया है यहां पर एसी और नॉन एसी थाली की व्यवस्था है। जो भी सैलानी जयपुर शहर की यात्रा करने आते हैं वहां चौकी धानी जाने के साथ जरूर रखते हैं। क्योंकि यहां आए बिना आपकी यात्रा अधूरी है।

chokhi-dhani-jaipur

सोमवार, 20 मार्च 2023

तुलसी श्याम मंदिर, गिर सोमनाथ, गुजरात - Tulsi Shyam Temple

Tulsi Shyam Temple भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। Tulsishyam मंदिर प्रकृति के गोद में! सासन Gir National Park के पश्चिम में ऊना से तकरीबन 30 किलोमीटर जंगल के अंदर है।

Tulsishyam temple चारों ओर पहाड़ों के बीच में बसा है। पहाड़ के ऊपर माता रुक्मणी का मंदिर है। कहते हैं जब रुकमणी जी और श्री कृष्ण की लड़ाई हुई तब रूठ कर रुकमणी माता पहाड़ के ऊपर चले गए तबसे मंदिर पहाड़ के ऊपर ही है!

Tulsi Shyam Temple

तुलसीश्याम मंदिर जाने का रास्ता गिर के जंगल में प्राकृतिक और बहुत खूबसूरत है।

जंगल के अंदर इंटर होने से पहले चेक पोस्ट पर परमिशन लेनी पड़ती है।

सुबह 10:00 से शाम को 5:00 बजे तक तुलसीश्याम जाने की अनुमति है

तुलसीश्याम मंदिर गीर नेशनल पार्क के जंगल में हे इसलिए सफर के दौरान आप प्राकृतिक सौंदर्य ,हरिवनराय , झरने ,नदी पहाड़ ,और जंगली जानवर ,शेर , शीतल , सांभर , लेपर्ड , मोर इत्यादि देख सकते हो!

तुलसीश्याम की खासियत - Magnetic hills and kund - Anti Gravity Area

तुलसीश्याम यहां के मैग्नेटिक हिल्स (magnetic Hills) और गरम पानी के कुंड के लिए विश्व विख्यात है।

तुलसीश्याम मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर पहाड़ की ढलान पर मैग्नेटिक क्षेत्र है।

इस क्षेत्र पर कोई भी चीज अपने आप ऊपर की तरफ खींचने लगती है! कार अपने आप ऊपर चढ़ने लगती है ! इस ढलान पर पानी का बहाव ऊपर की और होता है।

तुलसीश्याम में तीन गरम पानी के कुंड है। तीनों कुंड में पानी अलग-अलग टेंपरेचर होता है!

इस कुंड में नहाने से त्वचा के रोग मिट जाते हैं इस कुंड में सल्फर की मात्रा ज्यादा है।

तुलसीश्याम से 500 मीटर की दूरी पर भीमसा नामक एक स्थान है कहते हैं यहां पर पांच पांडव रुके थे और एक पत्थर पर भीम ने साह बनाए थे जो आज भी है।

लेकिन अब वहां पर जाने की अनुमति नहीं है।

तुलसीश्याम मंदिर का इतिहास Tulsishyam Temple History

तुलसीश्याम मंदिर 1000 साल पहले बनवाया गया था लेकिन उसमें बसी भगवान श्याम सुंदर की मूर्ति 3000 साल पुरानी है

पौराणिक कथा के अनुसार जालंधर दानव भगवान शिव का गण था जालंधर ने दिव क्षेत्र(Diu) मैं राज्य की स्थापना की थी!

और भगवान नारायण का भक्त था। भगवान नारायण ने उसको वरदान दिया था कि तुम और तुम्हारी पत्नी जब तक अधर्म नहीं करोगे तब तक तुम्हें कोई मार नहीं सकेगा!

लेकिन जालंधर ने तो देवताओं के साथ युद्ध करना शुरू कर दिया इससे देवताओं तंग आकर जालंधर को मारने की योजना बनाने लगे।

1 दिन नारायण ने जालंधर को उकसाया कहा तुम्हारे पास सब कुछ है धन दौलत परंतु पार्वती जैसी पत्नी नहीं है! जालंधर को यह बात अच्छी नहीं लगी। वह को निकल पड़ा भगवान शिव से युद्ध करने।

उसी दौरान जालंधर की पत्नी वृंदा को स्वप्न आया की उसका पति जालंधर मारा गया।

वृंदा जब अपने पति को ढूंढने निकल गई। हाल का जो तुलसी श्याम है वहां पर भगवान ने जालंधर का रूप लेकर उसके साथ रात गुजारी तो वृंदा को सब असलियत पता चल गई और वृंदा ने भगवान को श्राप दे दिया! तुम मेरे पति नहीं हो तुमने मेरा सतीधर्म तोड़ा है तुम आज से पत्थर हो जाओगे।

भगवान नारायण ने उसको आश्वासन दिया तुम्हारा श्राप व्यर्थ नहीं जाएगा! लेकिन तुम्हारे पति को मारने का दूसरा कोई रास्ता नहीं था मैंने तुम्हारे साथ गलत किया है इसलिए मैं तुम्हें वरदान देता हूं

आज से तुम इस जंगल में तुलसी के रूप में और मैं श्याम के रूप में अवतार लूंगा और हमारा विवाह होगा!
और मुझे जो कोई भी भोग (प्रसाद) चढ़ावा आऐगा उसमें तुलसी के पत्ते नहीं होगे तो प्रसाद मैं स्वीकार नहीं करूंगा
तुम। एक औषधि के रूप में उपयोग होगी और लोगों का दुख दूर करोगी

उसके बाद कितने सालों तक भगवान श्याम सुंदर की मूर्ति पत्थर के रूप में जमीन के नीचे दबी रही!

दीव के एक सेठ जुगल रायचंद वाणिया को भगवान श्याम सुंदर सपने में गए और उसको कहा कि मेरी मूर्ति और तुलसी यहां पर जमीन के नीचे दबी हुई है तुम और दूधाधारी संत और देवा सदिया चारण ! सुबह इस मूर्ति को निकालना और मेरा मंदिर बनवाना! मैं तुम्हारी मनोकामना पूर्ण करूंगा

सेठ जुगल चांद वाणिया ये भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।

भगवान श्याम बाबरियावार्ड के क्षत्रिय समाज के इष्ट देव है!

तुलसीश्याम मंदिर की भव्यता देखकर देलवाड़ा के राजा भोज ने तुलसीश्याम पर दो बार अटैक किया

बाबरियावार्ड के क्षत्रिय समाज और डेडान महिया कोटिला ने साथ मिलकर तुलसीश्याम की रक्षा की थी!

Tulsi Shyam Temple

तुलसी श्याम के नजदीकी पर्यटन स्थल

रावेल डैम तुलसी श्याम जसाधार चेक पोस्ट से तकरीबन 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रावेल डैम अत्यंत खूबसूरत पहाड़ियों और जंगलों से घिरा बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है।

यहां पर पर्यटन शांत माहौल और प्राकृतिक खूबसूरती के गोद में काफी सारा टाइम बिता सकते हैं। इसके अलावा रावेल डेम से बहता पानी का नजारा देखने का आनंद और वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी, वनभोजन कर सकते हैं। रावेल डैम अत्यंत खूबसूरती के लिए प्रख्यात है यहां पर काफी सारे पर्यटन विजिट करते हैं।

रावेल डैम से आसपास के क्षेत्र में पानी की सुविधाएं मुहैया करवाई जाती है।

तुलसीश्याम रुकने की व्यवस्था – Tulsishyam Room booking

तुलसीश्याम में रुकने के लिए धर्मशाला और गेस्ट हाउस की व्यवस्था है! Ac या नॉन Ac रूम मिल जाएंगे! या तो आप 500 से ₹700 में रूम (Room booking) बुक करवा सकते हो

यहां के भोजनालय में खाने का और गरम पानी के कुंड में नहाने का लुत्फ उठा सकते हो

कैसे पहुंचे?

हवाई मार्ग – तुलसीश्याम का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट दीव(Diu) , केशोद , राजकोट, है। यहां से आप सरकारी बस एवं प्राइवेट वाहन से तुलसीश्याम पोहुंच सकते हो सकते हो।

रेलवे मार्ग – तुलसीश्याम का सबसे नजदीक जंक्शन देलवाड़ा, उना ,वेरावल ,बर्फटाणा (Rajula city) जंक्शन से तुलसीश्याम पोहच सकते है।

सड़क मार्ग – राष्ट्रीय राज्य मार्ग( महुवा, वेरावल) 8A गुजरात महाराष्ट्र डायरेक्ट जुड़ा हुआ है।

शनिवार, 4 मार्च 2023

स्टेचू ऑफ यूनिटी घूमने की जानकारी और टिकट प्राइस लिस्ट - Statue Of Unity All Info and Ticket Price List
स्टेचू ऑफ यूनिटी - Statue Of Unity

स्टैचू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा है। गुजरात में स्थित यह प्रतिमा विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति है, जिसे विश्व के आठ अजूबों में शामिल किया गया है।

स्टैचू ऑफ यूनिटी गुजरात के वडोदरा शहेर से 90 किलोमीटर दूर नर्मदा जिले के केवड़िया मैं साधु बेट नामक आईलैंड पर स्थित है। सरदार सरोवर बांध से तकरीबन 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मूर्ति विश्व की सबसे ऊंची गगनचुंबी प्रतिमा है।

शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

दीव पर्यटन की जानकारी हिंदी में - Diu Tourism in Hindi

दीव एक खूबसूरत पुर्तगल (Portugal) सभ्यता का खूबसूरत आईलैंड है। दीव अपने समुद्र तट और प्राकृतिक खूबसूरती के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। दीव गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र समुद्रीटापू प्रायाद्वीप के दक्षिणी सिरे पर स्थित दीव आईलैंड चारों ओर पानी से घीरा तकरीबन 40 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।

पुराने समय में दीव अरब सागर समुद्र तट के मुख्य बंदरगाह में गिना जाता था। दीव आईलैंड को अरबसागर का मोती कहते हैं। दीव शहर गुजरात का मिनी गोवा है।

पर्यटक दीव पहुंचते ही मंत्रमुग्ध हो जाने वाली खूबसूरती देखकर यहां के दीवाने हो जाते हैं। नीला समुंद्र, समुद्र तट पर ताड़ के पेड़ रेत और नीले समुद्र में सूरज की किरने अपना रंग बिखरती है ऐ नजारा अदभुत होता है ऐसा एहसास होता है कि आप फॉरेन कंट्री में आ गए है।

रोड से लदे एकदम नजदीक समुद्र तट और दूर-दूर तक नीला समुद्र यहां के अद्भुत नजारे पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है।

दीव में घूमने लायक पर्यटन स्थल – Best Tourist Places To Visit In Diu

पुराने समय में पोर्तुगीज सभ्यता का शहेर रह चुके दीव मैं आज भी पोर्तुगीज आर्किटेक्चर की झलक देखने को मिलती है। दीव पहेचाना जाता है खूबसूरत समुद्र तट, गुफाएं, किल्ले, पुराने चर्च, म्यूजियम, मंदिर और यहां के जेल के लिए प्रख्यात है।

नागवा बीच

nagoa beach diu gujarat

नागवा बीच दीव का सबसे प्रसिद्ध बीच है। नागोवा समुद्र तट बूचडवाड़ा प्रांत में स्थित है नागवा समुद्र तट घोड़े की नाल जैसे आकर मैं दिखता है। जो तकरीबन 2.5 किलोमीटर में फैला है।

नागवा समुद्र तट पर ताड़ के पेड़ नीला समुंद्र और एक दम शांत समुद्र तट लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है नागवा समुद्र तट पर वॉटर स्पोर्ट ,बोटिंग ,स्विमिंग , रेत पर आर्ट, फोटोशूट इत्यादि।। पास में काफी सारी 5 स्टार होटल एवं रेस्टोरेंट है जहां पर आप रुक सकते हो।

नागवा बीच के बारेमे ज्यादा जानकारी

डायनासोर पार्क - Dinosaur Park In Diu

Dinosaur Park

नागवा बीज के करीब समुद्र तट के किनारे बच्चों के लिए शांत माहौल में डायनासोर पार्क है। यहां पार्क बच्चों के लिए पसंदीदा जगह है। इस पार्क में डायनासोर की कई सारे पिसीज और समुद्ररी जीव के स्टेचू है। समुद्र के किनारे बैठकर पर्यटन समुद्र की बड़ी-बड़ी लहरें देखने का आनंद ले सकते हैं। यहां का समुद्र किनारा शांत नहीं है इसलिए यहां पर स्विमिंग करना मना है।

दीव किल्ला पौराणिक पर्यटन स्थल – Diu Fort Tourist places In Hindi

Diu Fort

दीव किल्ले का निर्माण तकरीबन 1535 से 1541 मैं पोर्टुगीजो द्वारा करवाया गया था। किले के चारों ओर समुद्र और एक लाइट हाउस सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनवाया गया था जो आज भी उपयोग हो रहा है। किले के ऊपर कई सारे तोप लगवाएं जो आज भी पर्यटन ओ को अपनी ओर आकर्षित करता है।

दीव का यह किला पोर्टगर्ल सभ्यता और वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। इस किले ने कई सारे युद्ध देखें है। दीव का यह पूरा किला पुर्तगालिन वास्तु कला में बनवाया गया है।

दीव किल्ले से सूर्योदय और सूर्यास्त का अद्भुत नजारो साथ पर्यटक यहां पर किले के ऊपर से दूर-दूर तक फैले समुद्र को निहार सकते है और अपना टाइम बिता सकते हैं।

दीव का किल्ला समुद्र के किनारे होने की वजह से यहां पर पर्यटक फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कर सकते हैं यहां पर कई सारे फिल्म शूटिंग और वीडियो शूटिंग हुई है।

पानीकोटा दीव का खूबसूरत पर्यटन स्थल – Panikota Diu Tousrist Places In Hindi

दीव से थोड़ी दूरी पर समुद्र में पोर्टुगीजो ने एक पानी कोटा किला बनवाया था। जो दीव किले का एक हिस्सा है। पानी कोटा किले के ऊपर एक लाइट हाउस, मिनी ट्रेन, लिफ्ट अंडर वॉटर सुरंग, इत्यादि सुविधा से सजाया गया था।

पानी कोटा दीव किले का दूसरा हिस्सा है। किस किले में पहले पोर्टुगीज रहा करते थे। बाद में इस किलेका जेल के रूप में उपयोग होने लगा। पानी कोटा किल्ले तक पहुंचने के लिए पर्यटक को बोटिंग का सहारा लेना पड़ता है। यहां तक पहुंचने का एकमात्र जरिया है वोटिंग का पानी कोटा किला 450 साल के बाद भी जो का त्यों खड़ा है,आज भी लेकिन अब यहां पर पर्यटक को घूमने जाने पर पाबंदी है। लेकिन कुछ समय बाद केंद्र सरकार निर्णय के बाद यहां पर पर्यटक के लिए यह किला खोल दिया जाएगा।

गुजरात का खूबसूरत न्यू पर्यटन स्थल ग्रेट केनियन ऑफ इंडिया कडीया ध्रो

नायडा गुफाएँ (नैदा गुफाएं) दीव का मशहूर पर्यटन स्थल – Noida Caves Famous Tourist place In Diu

नोएडा गुफाएं किले के एकदम नजदीक भूल भुलैया सुरंगो की एक बड़ी श्रृंखला है।

नोएडा गुफाएं के बारे में! ऐसी मान्यता है की पुर्तगल ने दीव के निर्माण कार्य मैं सारा पत्थर और मलबा यहां से निकाला था। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि नोएडा गुफाएं प्राकृतिक रूप से बने हैं। नोएडा गुफाएं फोटोग्राफी के लिए एकदम बेस्ट पैलेस है नोएडा गुफा में दिन में सूरज की किरणें गुफा के अंदर प्रवेश करती हैं तब अदभुत दृश्य देखने को मिलता है। नोएडा गुफाएं फोटोग्राफी के लिए एकदम बेस्ट पैलेस है।

गंगेश्वर महादेव देवालय – Gangeshwar Mahadev Devalay Diu

गंगेश्वर महादेव भगवान शिव को अर्पित है गंगेश्वर महादेव समुद्र के एकदम नजदीक स्थित है जब समुद्र ज्वाहार की लहरें आती है तब भगवान शिव के 5 शिवलिंग पर अपना पानी बीखेरती है। महाभारत काल में जब पांच पांडव को 14 साल वनवास हुआ था तो वह कुछ समय इसी गुफा में रुके थे इन पांचों भाइयों ने यहां पर 5 शिवलिंग की स्थापना की थी ए मंदिर 5000 साल पुराना है। श्रावण मास में यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालुओं आते हैं।

चक्रतीर्थ समुद्र तट और सूर्यास्त बिंदु – Chakratirth Beach and Sunset Point

सतयुग में भगवान विष्णु जब जालंधर दानव का संघार करने उतरे तब इसी जगह से अपना सुदर्शन चक्र छोडा था इसलिए इस क्षेत्र का नाम चक्रतीर्थ स्थल पड़ा है।

यहां पर समुद्र में छोटे-छोटे पहाड़ बेहद खूबसूरत देखने को मिलेंगे ।पहाड़ों से टकराती लहरी और एक दम शांत स्थान है पास की पहाड़ी में भगवान शिव का एक मंदिर है इस पहाड़ी पर सूर्यास्त खूबसूरत नजारा देख सकते हो।

सेंट थॉमस चर्च (दीव म्यूजियम) पर्यटन स्थल – St. Thomas Church (Diu Museum) Tourist places

सेंट थॉमस सर्च 1589 मैं बनवाया गया था! आजादी के बाद भारत सरकार ने इसे 1992 मैं म्यूजियम में बदल दिया गया है।

दीव मुख्य आकर्षण केंद्रों में से एक है और भारत के चुनिंदा चर्च में गिना जाता है।

आज इस म्यूजियम में पुर्तगालिन समय के ,वुडन स्कॉल्टन ,स्टोन स्कॉल्टन ,छोटे-बड़े स्टेचू ,शिलालेख ,इत्यादि कीमती चीज वस्तु और दीव की ऐतिहासिक एवं पौराणिक वस्तुएं संभाल कर रखी है।

घोघला बीच – Ghoghala Beach Diu

Ghoghla Beach

घोघला बीच बहुत खूबसूरत समुद्र तट और वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज के लिए दीव के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है। घोघला बीच को 2020 में ब्लू फ्लैग रेट हासिल हुआ है। दीव शहर के उत्तर में स्थित यह समुद्र तट घोघला गांव के करीब स्थित है इसलिए इस बीच को घोघला बीच के नाम से जाना जाता है।

घोघला बीच पर पर्यटक समुद्र के किनारे वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज कर सकते हैं जैसे कि पैरासेलिंग, सर्फिंग, मोटरबाइकिंग, बोट सवारी, हॉर्स राइडिंग, कैमल राइटिंग्स, और समुद्र के किनारे रेत में आर्ट कला कर सकते हैं।

घोघला बीच समुद्र तट पारिवार छुट्टियों के लिए सबसे बेस्ट स्थान है। यहां के समुद्र तट पर पर्यटक को आराम करने के लिए आर्टिफिशियल खूबसूरत छत हैं। जिस पर से पर्यटक खूबसूरत समुद्र निहार सकते हैं। और तट पर ही वॉच टावर है।

दीव शहर की भीड़भाड़ वाले क्षेत्रो से यह बीच एकदम शांत और खुशनुमा माहौल में स्थित है। यहां पर पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य के साथ शांत माहौल में अपना टाइम बिता सकते हैं।

घोघला बीच के बारेमे ज्यादा जानकारी

सेंट पॉल चर्च दीव का आकर्षित पर्यटन स्थल – St Paul’s Church Diu Tourist attraction

सेंट पॉल चर्च दीव के मुख्य आकर्षित पर्यटन स्थलों में से एक है। और यह सर्च पूरे भारत के चुनिंदा चर्चेा में से एक है। सेंट पॉल सर्च को “दीव चर्च” के नाम से भी जाना जाता है। सेंट पॉल सर्च का निर्माण तकरीबन 400 साल पहले 1601 से लेकर 1610 मैं पोर्टुगीज द्वारा करवाया गया है।

सेंट पॉल चर्च पोर्टुगीज आर्किटेक्ट सभ्यता का अद्भुत नमूना है। यह पूरा चर्च सफेद मार्बल पर जटिल नक्काशी से बनवाया गया है और लकड़ी पर अद्भुत नक्काशी से सजाया गया है। यह चर्च बाहर की साइड से तो अद्भुत लगता है लेकिन अंदर का नजारा की बात ही कुछ अलग है।

सेंट पॉल चर्च को नीव से लेकर छत तक सजाया गया है और यहां पर अद्भुत नक्काशीदार मूर्तियां चार चांद लगाती है। चर्च का प्रार्थना ग्रुह बहुत बड़ा और खूबसूरत आज तक सजाया हुआ है। आज भी यहां पर प्रार्थना होती है सेंट पॉल चर्च कि चारोंऔर हरे भरे बागान है।

पर्यटक को यहां पर पोर्टुगीज सभ्यता की झलक देखने को मिलेगी

दीव का आईएनएस खुखरी मेमोरियल – INS Khukri Memorial Diu

आईएनएस खुखरी स्मारक एक भारतीय नौसेना जहाज का स्मारक स्थल है, ये 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान डूब गया था। यह स्थान Ins खुखरी रोड पर स्थित है और स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों के बीच काफी लोकप्रिय है। अगर आप दीव जाते हैं तो इस जगह को देखना न भूले।

ज़म्पा गेटवे –Zampa Gateway

ज़म्पा गेटवे दीव का एक और आकर्षक पर्यटन स्थल है। यहां पर बना एक आर्टिफिशियल झरना आपको काफी आकर्षित करता है।

शैल संग्रहालय – Shell Museum

दुनिया के कुछ शेल संग्रहालयों में से एक दीव में स्थित है। इसमें एक नाविक कैप्टन फुलबाड़ी के संग्रह हैं, जिन्होंने अपनी यात्राओं के दौरान कई अनोखे, सुंदर और आश्चर्यजनक गोले एकत्र किए।

जलंधर बीच – Jallandhar Beach

Jallandhar beach

जालंधर समुद्र तट (Jallandhar beach), काफी शांत सुथरा और सुंदर बीच है। यह बीच दमन एवं दीव के दीव में मुख्य शहर से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस बीच का नाम हिन्दू धर्म के राक्षस "जालंधर" पर रखा गया है जिसका वध भगवान श्री विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से किया गया था।

जालंधर समुद्र तट के बारेमे और जानकारी

दीव का गोमतीमाता बीच – Gomtimata Beach in Diu

गोमतीमाता बीच वनकबारा गांव में दीव के पश्चिमी छोर पर स्थित है। यह क्षेत्र के सबसे अच्छे समुद्र तटों में से एक है। अगर आप यहां की सफेद रेत पर शांति और सुकून के साथ कुछ समय बिताना चाहते हैं तो यह समुद्र बहुत अच्छा है।

होका पेड़ – Hoka Trees

दीव में होका पेड़ आकर्षण का केंद्र हैं। दीव भारत का एकमात्र क्षेत्र है जहां ये पेड़ पाए जाते हैं, जो इस तटीय क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाते हैं। इन पेड़ों की बड़ी आबादी यात्रियों को चकित करने के लिए काफी है क्योंकि ये पेड़ अफ्रीका के उत्तरी हिस्से और अरब प्रायद्वीप के क्षेत्रों में देखे जाते हैं, जिन्हें आमतौर पर ‘डम पाम’ पेड़ कहा जाता है। होका के पेड़ सबसे अधिक मरुस्थलीय क्षेत्रों (desert areas) में पाए जाते हैं। होका बीज एक सुंदर लाल-अंडाकार संरचना है, जो क्रिकेट की गेंद जैसा दिखता है। कहा जाता है कि इन फलों का उपयोग प्राचीन मिस्र के लोग अंतिम संस्कार के दौरान करते थे।

दीव का इतिहास Diu Island History In Hindi information

दीव प्राचीन काल से ही गुजरात का मुख्य बंदरगाह रहा है दीव ऊपर कितने सारे राजा और राजवंशों ने शासन किया है फिर 1458 मैं वास्को डी गामा भारत आइए कालीकट बंदरगाह पर पहुंचे कालीकट बंदर के राजा जेबुरीन को व्यापार का न्यौता दिया!! लेकिन जेबुरीन ने तुरंत ही ना बोल दिया

उसके बाद (पेट्रो एल्विस कैबरील) आई उसको जुबरीन ने व्यापार की अनुमति दे दी।। उसके बाद धीरे-धीरे पुर्तगालीयो का भारत में आगमन हुआ। पोर्टगल ने तुरंत ही पहली फैक्ट्री बना दी। इससे स्थानीय मुस्लिम समुदाय के व्यापारीयो को व्यापार में दिक्कतें आने लगी। उसने जेमूरीन को बोला आपने विदेशीयो को यहां व्यापार की अनुमति क्यों दी। जेमुरीन चुप रहे
थोड़े समय बाद मुस्लिम समुदाय के व्यापारी और पुर्तगल के बीच दंगे होने लगे। (पेट्रो एल्विस कैबरील) ने जेमुरीन को फरियाद की लेकिन जेमुरीन चुप रहे इससे पुर्तगल गुस्से में आकर कोचिंन चले गए और कोचीन के राजा के साथ मिलकर जमोरिन के साथ युद्ध किया और पुर्तगल जीत गए । फिर कोचीन में बड़ी कोठी की स्थापना की।

अब पुर्तगल की नजर गुजरात के दीव पर थी

1509 मैं पुर्तगल फिर से युद्ध करने आ गए इस बार पुर्तगल युद्ध पूरी तरह से जीत गए इस बार भी नेवल युद्ध किया था पुर्तगल सारे युद्ध समुद्र में करते थे। इस युद्ध को बेटेल ऑफ दीव के नाम से जाना जाता है।

उसके बाद पुर्तगल ने कई बार दीव पर चौकिया बनाने की कोशिश की थी लेकिन वे नाकाम रहा है

बाद में गुजरात के बादशाह बहादुर शाह ने मुगल सम्राट हिमायू अपने राज्य की रक्षा के लिए पुर्तगल के साथ समझौता किया.. पुर्तगल ने दीव में चारों तरफ किल्ले बनवा दिए !बाद में गुजरात के बादशाह को अपनी उदारता पर अफसोस हुआ उसने पुर्तगल के साथ युद्ध किया और मारा गया!

उसके बाद दीव में कहीं सारे युद्ध हुए डच लोगों के साथ भी लेकिन पुर्तगल कभी नहीं हारे।

1535 से 1961 तक पुर्तगल ने दीव पर राज किया! इस दौरान पुर्तगल ने दीव में काफी निर्माण कार्य किया किल्ले महेल सर्च इत्यादि! दीव मैं आज भी पोर्टग्लिश वास्तु देखने को मिलता है।

दीव में कहां पर रुके और यहां का फेमस खाना

दीव भारत का केंद्र शासित प्रदेश है और यह एक खूबसूरत पर्यटन स्थल और पोर्टुगीज सभ्यता का शहर होने की वजह से दीव में रुकने के लिए कई सारी फाइव स्टार होटल एवं गेस्ट हाउस की व्यवस्था है। दीव हनीमून का बेस्ट पैलेस माना जाता है।

दीव शहेर में पर्यटक को हर तरह का खाना मिल जाएगा। दीव शहेर में पोर्टुगीज की व्यंजन के साथ गुजराती मिक्स स्वाद का आनंद ले सकते है। दीव केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से यहां पर शराब पर प्रतिबंध नहीं है इसलिए आप समुद्री डिसिस के साथ शराब भी ले सकते हैं।

दीव घूमने का सबसे बेस्ट टाइम – Best Time To Visit Diu

वैसे तो दीव में पर्यटक घूमने के लिए साल में कभी भी आ सकते हैं। लेकिन सर्दियों के मौसम में पर्यटक को यहां के खूबसूरत समुद्र तट पर कई सारे स्पोर्ट्स एक्टिविटीज और घूमने के साथ साथ वाटर स्पोर्ट, रेत कला, ऐतिहासिक वास्तु कला, और लिफ्ट स्मोकिंग भोजन और शराब के कारण सर्दियों मैं दीव आईलैंड किसी जन्नत से कम नहीं लगता का मौसम नवंबर से फरवरी तक का समय बेस्टट माना जाता है।

दीव आईलैंड होने की वजह से गर्मियों के मौसम में भी यहां पर पर्यटको की भीड़ रहती है। गर्मियों के मौसम में ज्यादातर पर्यटक विदेशी सैलानी आते हैं।

यहाँ 31 दिसंबर के दिन न्यू ईयर मनाया जाता है। दीव को पूरी तरह से लाइट से सजाकर धूमधाम से पार्टी मनाते हैं।

दीव कैसे पहुंचे – How to reach Diu

सड़क मार्ग ( By Road)

दीव सड़क मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग महाराष्ट्र से गुजरात के साथ जुड़ा हुआ है
राजकोट अहमदाबाद वडोदरा सूरत मुंबई से दीव पहुंचने के लिए सरकारी एवं निजी लग्जरियस बस मिल जाएगी।
अन्यथा आप अपना खुद का प्राइवेट वाहन लेकर भी यहाँ आ सकते हो।

रेल मार्ग

दीव का सबसे नजदीक जंक्शन देलवाड़ा और वेरावल है, जहां पर अन्य शहरों से नियमित रूप से ट्रेन आती है, राजकोट अहमदाबाद मुंबई जयपुर इत्यादि शहरों से

हवाई मार्ग

दीव का खुद का हवाई मार्ग है जो नागवा में स्थित है शनिवार को छोड़कर हफ्ते में नियमित रूप से मुंबई टू दीव की उड़ान भर्ती है।

सोमवार, 20 फ़रवरी 2023

ताजमहल, धर्मपुरी, फॉरेस्ट कॉलोनी, ताजगंज, आगरा, उत्तर प्रदेश
ताजमहल, धर्मपुरी, फॉरेस्ट कालोनी, ताजगंज, आगरा, उत्तर प्रदेश

ताजमहल, धर्मपुरी फॉरेस्ट कॉलोनी ताजगंज आगरा उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है। और भारत में सबसे प्रसिद्ध स्थलों और पर्यटकों के आकर्षण में से एक है।

ताजमहल एक सफेद संगमरमर का मकबरा है। इसे मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी प्यारी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया था, जो अपने 14वें बच्चे को जन्म देते हुए मर गई थी।

ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और 1653 में पूरा हुआ, जिसमें मुगल साम्राज्य के हजारों श्रमिकों और कारीगरों ने काम किया था।

ताजमहल भारतीय, फारसी और इस्लामी शैलियों का मिश्रण है। इसे मुगल वास्तुकला का सबसे बड़ा उदाहरण माना जाता है।

ताजमहल के सफेद संगमरमर के बाहरी हिस्से को जटिल नक्काशी और कीमती पत्थरों से सजाया गया है। इसके केंद्र में एक बड़ा गुंबद है, ये गुंबद चार छोटे गुंबदों से घिरा हुआ है और एक उभरे हुए मंच के ऊपर खड़ा है।

ताजमहल को दुनिया की सबसे खूबसूरत और प्रतिष्ठित इमारतों में से एक माना जाता है और यह एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है, जो हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में भी शामिल है और भारत के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास का प्रतीक है।

हम ताजमहल के बारे में अगली आने वाली पोस्ट में विस्तार से लिखेंगे, अगर आप जल्द ही इस के बारेमे जानना चाहते है तो हमे कमेंट करके जरूर बताए। ताकि हम जल्दी से ताजमहल के बारेमे आपके लिए ज्यादा जानकारी वाला आर्टिक्ल पोस्ट कर सके।

इसे अंग्रेजी में पढ़ें - Read it in English

शनिवार, 18 फ़रवरी 2023

याना की गुफाएं - Yana Caves Yana Rocks In Hindi
yana-caves_photos

याना केव्स याना की गुफाएं: याना कुमटा के जंगल में स्थित एक गांव है। भारत के कर्नाटक राज्य में उत्तर कन्नड़ जिल्ले मैं पश्चिमी घाट के सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित याना की गुफाओं को असामान्य क्राइस्ट रॉक संरचनाओं के लिए जाना जाता है। यहां से 60 किलोमीटर की दूरी पर करवार बंदरगाह, 40 km की दूरी पर सिरसी और कुमटा 31 km की दूरी पर स्थित है।

शनिवार, 11 फ़रवरी 2023

काड़िया ध्रो कच्छ Kadiya Dhro Kutch गुजरात की ग्रैंड कैन्यन
काड़िया ध्रो कच्छ - Kadiya Dhro Kutch

Kaliya Dhro In kutch, Hindi Information:
गुजरात राज्य के कच्छ जिले का नखत्राणा प्रांत से 40 किलोमीटर और भुज से 30 किलोमीटर की दूरी पर भौऐड नदी की खूबसूरती काड़िया ध्रो (Kadiya Dhrow) या कालीया ध्रो (Kaliya Dhro) एक अत्यंत खूबसूरत प्राकृतिक पर्यटन स्थल है। भौऐड नदी और उनके साथ अन्य सहायक कहीं सारी छोटी-बड़ी नदियां मिलकर एक विशाल रूप धारण करती है। जो इन पथरीले इलाके में से बहती है।

गुजरात राज्य में प्राकृतिक एवं वैश्विक धरोहर की बात करें तो कच्छ कैसे पीछे रह सकता है कच्छ की धरती पर खूबसूरत पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है। इनमें से एक कालीया ध्रो प्राकृतिक खड़क संरचना है। हवा और पानी के बहाव के कटाव (थपेड़ों) से करोड़ों साल बाद प्राकृतिक संरचना से पत्थरों पर (खड़क) शिल्पकारी का निर्माण हुआ है। जो देखने में अत्यंत सुंदर है। जो हूबहू अमेरिका के ग्रांड कैनियन नेशनल पार्क से मिलता जुलता हैं।

कच्छ की यह कुदरती कला सात समुंदर पार चमकी है। कच्छ का काड़िया ध्रो 2021 मैं द टाइम्स ऑफ न्यू यॉर्क के फ्रंट पेज पर स्थान प्राप्त करने वाला विश्व के 52 देखने लायक पर्यटन स्थलो में से तीसरे नंबर पर है।

द टाइम्स ऑफ न्यू यॉर्क मैं विश्व की तकरीबन 2000 से ज्यादा प्राकृतिक पर्यटन स्थल की फोटोग्राफी की लिस्ट गई थी। इनमें से विश्व की 52 देखने लायक प्राकृतिक पर्यटन स्थल सिलेक्ट हुए। जिनमें काड़ियां ध्रो के अलावा भारत के 2 और प्राकृतिक स्थल नंदा देवी पर्वत श्रुंखला और लद्दाख को भी जगह मिली है।

कालीया ध्रो (Kaliya Dhro)

कालीया ध्रो ने भारत के खूबसूरत स्थल लद्दाख और नंदादेवी पर्वत को पीछे छोड़ दिया है। काड़िया ध्रो हवा और पानी के बहाव की वजह से करोड़ों साल बाद रंग बिरंगी पत्थरों पर प्राकृतिक संरचना से विविध प्रकार की आकृति और कलाकृति शिल्पकारी के लिए पूरे विश्व में प्रख्यात हुआ है।

काड़ियां ध्रो मैं विविध प्रकार की रंग बिरंगी चट्टाने और चट्टानों पर विविध रंग बिरंगी पत्थर, छोटे बड़े बेहते झरने, छोटे-छोटे तालाब चारों ओर हरियाली इस क्षेत्र को चार चांद लगाती है।

कड़िया ध्रो को ग्रेट के केनियन ऑफ कच्छ के नाम से भी जाना जाता है। काड़िया ध्रो छोटी बड़ी कहीं सारी नदियों से मिलकर बना है। यह स्थान प्रकृति की गोद में शांति का आभास कराती है।

काड़िया ध्रो कुदरत के कलाकारी का बेजोड़ नमूना है। जिसे बनने में लाखों करोड़ों साल लगे हैं। इस प्राकृतिक स्थान पर फोटोग्राफर, वीडियो ग्राफर और स्विमिंग के शौकीन का पसंदीदा स्थान है। लेकिन हम आपको स्विमिंग करने की सलाह नहीं देंगे क्यूंकी यहाँ पर मगरमच्छ होते है

वैसे तो काड़ियां ध्रो लाखों साल पुराना है। लेकिन आज तक किसी ने भी क्षेत्र का मुआवजा नहीं किया था। क्योंकि यह स्थान जंगलों और बीहड़ो के मध्य में मौजूद है। इसीलिए यहां पर जाना अत्यंत मुश्किल था। लेकिन अब ट्रैवल फोटोग्राफर वरुण सचदे की वजह से यह खूबसूरत स्थान आज वर्ल्ड मैप पर छा गया है। वरुण सचदे ने ही इस स्थान के बारे में द टाइम ऑफ न्यूयॉर्क को फोटोग्राफ भेजे और जानकारी मुहैया कराई थी।

Kadiya Dhrow photos

काड़िया ध्रो (Kadiya Dhrow) भारत और विश्व की अमूल्य प्राकृतिक धरोहर है। इसलिए यहां आने वाले पर्यटन प्लास्टिक पॉल्यूशन न करें और इस जगह पर कचरा न डालें।

कच्छ में देखने लायक बहुत से पर्यटन स्थल है, ग्रेट रण ऑफ कच्छ (tha great white desert) पुराणिक महलों, खूबसूरत समुद्र किनारा (Beach) इत्यादि जिसे देखने देश विदेश से पर्यटन आते हैं। लेकिन अब इसमें एक नया नाम जुड़ गया है जो है कालीया ध्रो।

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काड़िया ध्रो घूमने का सबसे अच्छा समय

कड़िया ध्रो जाने का सबसे अच्छा समय सर्दी का मौसम होता है आप नवंबर से फरवरी तक घूमने जा सकते है।

काड़िया ध्रो कैसे पहुंचे

काड़िया ध्रो तक पहुँचने के लिए आपको भुज पहुँचना होगा, भुज सिटि रोड, रेल्वे और हवाई जहाज से पहुँच सकते है। भुज सिटि गुजरात और भारत के कई सारे शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

(Kaliya Dhrow) कड़िया ध्रो तक पहुंचने का रास्ता कच्चा पक्का है। टू व्हील से कड़िया ध्रो तक पहुंच सकते है। लेकिन फोर व्हील वहां तक नहीं जा सकती है। फोर व्हील कालिया ध्रो से तकरीबन 2 किलोमीटर दूर पार्क करनी पड़ेगी 2 किलोमीटर तक पैदल (ट्रैकिंग) चलना पड़ता है।